अमेरिका में H-1B वीजा को लेकर एक बार फिर सियासी और कानूनी भूचाल आ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें नए H-1B वीजा आवेदनों की फीस बढ़ाकर सीधे 1 लाख डॉलर करने का आदेश दिया गया है।
हजारों भारतीय IT प्रोफेशनल्स और उनके परिवारों के लिए अमेरिकी वीजा प्रक्रिया में अचानक रुकावट आ गई है। ट्रम्प प्रशासन द्वारा जल्द लागू होने वाले नए नियमों के तहत अब H-1B वीजा और H-4 वीजा (H-1B धारक के पति/पत्नी और बच्चे) के सभी आवेदकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की अनिवार्य जांच होगी।
अमेरिका में काम करने का सपना देखने वाले भारतीयों के लिए एक नई चिंता सामने आई है। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीज़ा की जांच प्रक्रिया को इतना सख्त बना दिया है कि अब सिर्फ आपका बायोडाटा ही नहीं, बल्कि आपका लिंक्डइन, सोशल मीडिया प्रोफाइल और फैमिली बैकग्राउंड भी चेक किया जाएगा।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में H-1B वीजा कार्यक्रम में व्यापक बदलाव किया है। ये कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को विशिष्ट व्यवसायों में विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई वीजा पॉलिसी ने एक बार फिर भारतीय IT सेक्टर को चिंतित कर दिया है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि ट्रंप प्रशासन का नया H-1B वीजा प्लान विदेशी एक्सपर्ट्स को अस्थायी तौर पर बुलाकर अमेरिकी वर्कर्स को ट्रेन करने के लिए बनाया गया है।
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का नया नियम और फ्लोरिडा सरकार का रुख- दोनों ही संकेत हैं कि अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों, विशेष रूप से भारतीय वर्क वीज़ा धारकों, के लिए आने वाले समय में हालात और सख्त हो सकते हैं।
एच-1बी वीजा धारक बिना किसी प्रतिबंध के अमेरिका में आना-जाना जारी रख सकते हैं, जो फीस घोषणा के बाद उठाई गई सबसे बड़ी चिंताओं में से एक का समाधान है।
अमेरिका में रहने और नौकरी करने का सपना देखने वाले लोगों के लिए बुरी खबर है। ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा की फीस 1 लाख अमेरिकी डॉलर यानि करीब 88 लाख रुपये तय करने के बाद अभी इस पर कई और बैन लगाने की तैयारी में है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच1-बी वीजा के लिए 88 लाख रुपये का शुल्क लगाने के फैसले के खिलाफ बौद्धिक वर्ग ने संघीय अदालत में एक मुकदमा दायर किया है। याचिका में इस शुल्क को तत्काल हटाने की मांग की गई है।
केनेथ रोगॉफ ने कहा, ‘‘अगर आप कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में जाएं तो वहां भारतीय इंजीनियरों और टैक्निकल प्रोफेशनल्स की संख्या काफी ज्यादा है। अगर इन टैलेंट को आने से रोका गया तो इसके बहुत बड़े दुष्परिणाम होंगे।’’
एआई को अपनाने में वृद्धि और वीजा पर बढ़ते प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी कंपनियों को अपनी श्रम रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में नए H-1B वीजा आवेदनों की लागत में बढ़ोतरी कर दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा पर 100000 डॉलर की भारी भरकम फीस लगाई है। इतना सब होने के बाद अब H-1B वीजा को लेकर अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने बड़ी बातें कही हैं।
H-1B वीजा को लेकर प्रस्तावित नए नियमों पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी संबंधित पक्षों से बातचीत की जा रही है।
US सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज इस प्रस्ताव को लेकर बुधवार से 30 दिनों तक जनता से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित करेगा, जिसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो जैसी भारतीय आईटी दिग्गज कंपनियां एच-1बी वीजा पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं। नए नियमों के तहत वीजा आवंटन अब स्किल्ड स्तर और सैलरी के आधार पर होगा।
अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस में $1,00,000 की जोरदार बढ़ोतरी कर दी है, जाहिर है ऐसे में कई प्रोफेशनल अमेरिका से बाहर जा सकते हैं। चीन ने इसी अवसर का फायदा उठाने के लिए एक K-VISA ऑफर करने की तैयारी कर रहा है, ताकि विदेशी टैलेंस चीन आ सकें।
ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि यह बढ़ोतरी आईटी कंपनियों के लिए एक चुनौती जरूर है, लेकिन उनकी मजबूत रणनीतियां और ऑपरेशनल मॉडल इस असर को काफी हद तक कम कर देंगे।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से एच1-बी वीजा धारकों पर 88 लाख रुपये का शुल्क लगाए जाने के बाद ह्वाइट हाउस ने इसके पीछे बड़ी वजह बताई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिकियों को नौकरी से निकालर सस्ते विदेशी श्रमिकों को प्राथमिकता दी जा रही थी।
एंप्लॉयर (कंपनी) के साइज और बाकी कॉस्ट के आधार पर H-1B वीजा फीस अभी तक लगभग 2,000 अमेरिकी डॉलर से 5,000 अमेरिकी डॉलर तक था।
ट्रंप प्रशासन की घोषणा उन लोगों पर लागू नहीं होती है जो "उद्घोषणा की प्रभावी तिथि से पहले दायर किये गये आवेदनों के लाभार्थी हैं, वर्तमान में स्वीकृत आवेदनों के लाभार्थी हैं, या जिनके पास वैध रूप से जारी एच-1बी गैर-आप्रवासी वीज़ा हैं।
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