भारत ने अफगानिस्तान में विभिन्न बुनियादी ढांचा और सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं में तीन अरब डॉलर का निवेश किया है।
अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक कैलिफोर्निया का एक जोड़ा अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अफगानिस्तान की राजधानी में हर रात अलग-अलग घर में गुजारता है और दोनों वयस्क बारी-बारी से सोते हैं ताकि जब एक सो रहा हो तो दूसरा बच्चों पर नजर रखे और यदि तालिबान के लोगों के आने की आहट हो तो वहां से भाग सकें।
अहमदी ने कहा, हमारे लिए केवल खेद जताना काफी नहीं है बल्कि अमेरिका को उन लोगों का पता लगाना होगा जिन्होंने यह हमला किया।
इमरान खान ने कहा कि 40 वर्ष के संघर्ष के बाद, यह समावेशिता शांति और एक स्थिर अफगानिस्तान सुनिश्चित करेगी, जो न केवल अफगानिस्तान बल्कि क्षेत्र के भी हित में है।
पिछले हफ्ते भी रशीद ने कहा था कि दुनिया के लिए यह उम्मीद करना अनुचित होगा कि अफगानिस्तान 8 दिनों में कुछ स्कैंडिनेवियाई देशों की तरह समृद्ध हो जाएगा।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि 29 अगस्त को किया गया ड्रोन हमला एक भारी भूल थी, सैनिकों की पूरी तरह वापसी से पहले अमेरिका ने ये हमला आईएसआईएस आतंकियों को टारगेट बनाकर किया था।
पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में हथियारों के दम पर सरकार बनाई गई है। ऐसे में अगर जल्द ही अफगानिस्तान में शांति बहाल नहीं की गई तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।
तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था, और पश्चिम समर्थित पिछले निर्वाचित नेतृत्व को सत्ता से बाहर कर दिया।
अफगानिस्तान पर मंडरा रहे बड़े मानवीय संकट को रोकने के लिए विश्व संगठनों ने मानवीय सहायता जुटाना शुरू कर दिया है। इस बीच तालिबान नेतृत्व ने कहा है कि देश में आने वाली सहायता आपूर्ति उन्हें सौंप दी जानी चाहिए, क्योंकि वे इन्हें गरीबों, जरूरतमंदों और योग्य लोगों को प्रदान करने की जिम्मेदारी लेंगे।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के चलते अफगान सिखों को वहां से निकलना पड़ा और वह नहीं जानते कि क्या कभी वापस जा पाएंगे या नहीं।
रिपब्लिकन सांसदों ने अफगानिस्तान से अमेरकी सेना की वापसी की प्रक्रिया को तबाही और अपमान बताया। कुछ डेमोक्रेट्स सांसदों ने कहा कि यह अभियान बेहतर तरीके से चलाया जा सकता था जबकि कई अन्य ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना की।
जयशंकर ने कहा कि वैश्विक आम-सहमति बनाने के लिए देशों के छोटे-छोटे समूहों के बजाय एक बहुपक्षीय मंच हमेशा प्रभावशाली रहता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा हालात में व्यापक बदलाव और इसके परिणाम स्वरूप मानवीय जरूरतों में भी परिवर्तन देखा गया है।
अफवाहों को ज्यादा हवा तब मिल रही है जब अफगानिस्तान पहुंचे कतर के विदेश मंत्री के साथ अधिकतर तालिबान नेताओं ने मुलाकात की है लेकिन उन तालिबान नेताओं में मुल्ला बरादर दिखाई नहीं दिया है।
अमेरिका में 11 सितंबर के आतंकी हमलों की 20वीं बरसी के दिन अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान का झंडा फहराता दिखाई दिया। काबुल में राष्ट्रपति भवन पर शुक्रवार को तालिबान का झंडा लगाया गया था, जो शनिवार को भी फहरा रहा था।
अफगानिस्तान के आसपास चीन की पूरी मानसिकता खतरों को सीमित करने और नियंत्रित करने के बारे में है, ना कि अपने प्रभाव का विस्तार करने या आर्थिक पुरस्कार प्राप्त करने का अवसर को लेकर है।
गुतारेस ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हम जो देख रहे हैं, उससे मैं बहुत चिंतित हूं।
एक ओर तो पाकिस्तान तालिबान की सरकार के लिए दुनिया भर से सपोर्ट की अपील कर रहा है और दूसरी ओर धमकी भी दे रहा है कि अगर दुनिया अफगानिस्तान की सरकार को सपोर्ट नहीं करेगा तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
कुरैशी ने कहा कि अफगानिस्तान को अलग-थलग करने के गंभीर परिणाम होंगे और वो अफगान जनता, क्षेत्र तथा दुनिया के लिए सहायक नहीं होंगे।
दरअसल दरअसल अफगानिस्तान से राष्ट्रपति अशरफ गनी के भागने और काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की करीब साढ़े नौ अरब डॉलर यानी 706 अरब रुपये से ज्यादा की संपत्ति फ्रीज कर दी है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने यह भी कहा कि एक समृद्ध और शांतिपूर्ण क्षेत्र के लिए सभी क्षेत्रीय हितधारकों के बीच करीबी सहयोग आवश्यक है।
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