नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हो रही चर्चा में भाग लेते हुए निर्वाचन आयोग और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया पर कड़ा विरोध जताया।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि निर्वाचन आयोग देश के सुप्रीम कोर्ट और संसद से बड़ा नहीं है और मतदाता सूची का यह विशेष पुनरीक्षण (SIR) कुछ और नहीं, बल्कि पिछले दरवाजे से की जा रही 'राष्ट्रीय नागरिक पंजी' (NRC) है।
सांसद ओवैसी ने कहा कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) संसद द्वारा बनाए गए विधान का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा, "यह उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा 'लाल बाबू हुसैन' मामले में दिए गए फैसले का उल्लंघन करता है।" ओवैसी ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग मतदाताओं पर अपनी नागरिकता साबित करने का भार डाल रहा है और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 1960 में इस सदन द्वारा पारित किए गए निर्वाचक नियमों और लाल बाबू हुसैन मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले का उल्लंघन है।"
"मैं SIR का विरोध करता हूं"
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग, देश के सुप्रीम कोर्ट और संसद से बड़ा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘फॉर्म 6’ नियम संसद ने पारित किया है, लेकिन निर्वाचन आयोग इस सदन द्वारा पारित किए गए कानून की शुचिता को तार-तार कर रहा है। ओवैसी ने SIR का विरोध करते हुए दावा किया कि यह धर्म के नाम पर लोगों को मताधिकार से वंचित करने की कवायद है।
उन्होंने कहा, "मैं SIR का विरोध करता हूं, क्योंकि यह पिछले दरवाजे से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) तैयार करने जैसा है।" ओवैसी ने कहा कि वह सत्तारूढ़ भाजपा से आग्रह करते हैं कि देश में जर्मनी जैसी संसदीय व्यवस्था अपनाई जाए। उन्होंने यह भी कहा, "हमें आम सहमति बनाकर वोट के अधिकार को मूल अधिकार बनाना चाहिए।" (इनपुट- भाषा)
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