प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां 21वीं सदी का एक-चौथाई हिस्सा बीत चुका है।
क्रिसिल के अनुसार वास्तविक जीडीपी की ऊंची वृद्धि की मुख्य वजह निजी खपत रही। आपूर्ति पक्ष से देखें तो विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की वृद्धि में उल्लेखनीय तेजी आई।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा उठाए गए समय पर कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को "आरामदायक स्थिति" में बनाए रखा है।
वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रही थी। एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में 2024-25 के लिए देश की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत आंकी थी।
एसएंडपी ने मार्च में लगाए अपने पिछले अनुमान में भी भारत की जीडीपी वृद्धि के वित्त वर्ष 2025-26 में 6.7 प्रतिशत से घटकर 6.5 प्रतिशत रहने की बात कही थी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि निर्यात में वृद्धि और सरकारी एवं निजी व्यय में वृद्धि से वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक रफ्तार कायम रहने की उम्मीद है।
ईवाई ने कहा कि भारत की राजकोषीय रणनीति को जीडीपी में बदलाव के अनुपात में कर राजस्व बढ़ाने, विवेकपूर्ण व्यय प्रबंधन और सतत वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए निरंतर संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने 60 से ज्यादा देशों के मिशन प्रमुखों और राजदूतों, विदेशी व्यापार प्रतिनिधिमंडलों और देश के उद्योग जगत के नेताओं की मौजूदगी में कहा, ‘‘ मैं आज आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हम असम में इंडस्ट्री की स्थापना के लिए सबसे अच्छा काम और अनुकूल माहौल सुनिश्चित करेंगे। कृपया यहां आएं और निवेश करें।’
एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत वृद्धि संभावनाओं और बेहतर रेगुलेशन के कारण शेयर बाजारों के गतिशील और प्रतिस्पर्धी बने रहने का अनुमान है। भारत के प्रमुख उभरते मार्केट इंडेक्स में शामिल होने के बाद से भारत सरकार के बॉन्ड में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रही थी। एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी।
India GDP growth rate : वित्त वर्ष 2022-23 की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी 6.1 प्रतिशत बढ़ी। समूचे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वृद्धि सात प्रतिशत थी।
भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-24 की जून तिमाही में 8.2 प्रतिशत, सितंबर तिमाही में 8.1 प्रतिशत और दिसंबर तिमाही में 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।
रेटिंग एजेंसी इडिया रेटिंग्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में महंगाई कम हो जाएगी, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक सतर्क रहेगा।
उपभोग मांग में ग्रोथ बरकरार रहने की उम्मीद है। ऑटो बिक्री, ईंधन खपत और यूपीआई लेनदेन में हाई ग्रोथ के साथ शहरी मांग की स्थिति लचीली बनी हुई है।
एशियाई विकास बैंक ने चालू वित्तवर्ष के लिए भारत की मुद्रास्फीति पर अपने पहले के पूर्वानुमान को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन इस साल अक्टूबर में 12.1 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल समान माह में इसमें 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़े में यह जानकारी दी गई। समीक्षाधीन महीने में उर्वरक को छोड़कर सभी क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
भारत की GDP वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 13.1 फीसदी थी।
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय वैश्विक कारणों के चलते महंगाई और गिरती ग्रोथ का सामना कर रही है। यह सरकार के लिए दोहरी चुनौती बनकर सामने आ रहा है
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अगले वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अनुमान को पहले के सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया।
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