
अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्यों ने पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों की याद में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी अपने साथ कश्मीर में मारे गे हिंदुओं की तस्वीरें लेकर पहुंचे थे। कुछ लोगों के हाथ में पोस्टर भी थे, जिनमें लिखा था कि कश्मीरी हिंदुओं के निशाना बनाना बंद करें। इसके अलावा आतंकवाद का विरोध करने वाले पोस्टर भी थे।
कई प्रदर्शनकारियों ने भारत का झंडा ले रखा था। वहीं, कुछ प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका का झंडा ले रखा था। इस दौरान एक कश्मीरी पंडित ने अपना दर्द सबसे सामने रखा। उन्होंने बताया कि कैसे धर्म की वजह से उनके परिवार को मार दिया गया।
कश्मीर पंडित का दर्द
कश्मीरी पंडित स्वप्ना रैना ने कहा "मैं यहां इसलिए आई हूं, क्योंकि मैंने कष्ट झेले हैं और हमें हमारे धर्म के कारण निशाना बनाया गया। मेरे दादा को निशाना बनाया गया और गोली मार दी गई। उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू थे। 22 अप्रैल का दिन मेरे लिए बुरे सपने के समान है। हम कश्मीरी हिंदू भी यही सब झेल रहे हैं और हमारे साथ दशकों से हो रही भयावह घटनाओं को फिर से जी रहे हैं। हमें या तो इस्लाम अपनाने, भाग जाने या मरने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया। लगभग चार लाख से ज्यादा कश्मीरी हिंदू रातों-रात अपने घरों से भाग गए।"
रैना ने कहा "मैं यहां उन सभी कश्मीरी हिंदुओं की ओर से बोल रही हूं, जो अभी भी उन सभी झूठी कहानियों का सामना कर रहे हैं जो फैलाई जा रही हैं। हमसे अभी भी यह साबित करने के लिए कहा जा रहा है कि यह वास्तव में हमारे साथ हुआ था। ईमानदारी से कहूं तो हमारा दिल रो रहा है, हमारी आंखें रो-रोकर सूख गई हैं। 22 अप्रैल को ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था। यह मानवता के मुंह पर एक तमाचा है।"
इस्लामी आतंकवाद को रोकना जरूरी
स्वप्ना ने कहा कि "इस्लामी आतंकवाद को रोकना होगा। लोगों को सभी धर्मों को समझना, स्वीकार करना और उनका सम्मान करना चाहिए। किसी को भी अपने धर्म के कारण नहीं मरना चाहिए और यही कारण है, मैं यहां जागरूकता बढ़ाने और तथ्यों और सच्चाई को सामने लाने की कोशिश कर रही हूं। निर्दोष लोग नफरत की आग में फंसे हुए हैं। यह नहीं होना चाहिए कि लोगों को उनकी पहचान, उनकी धार्मिक मान्यताओं को साबित करने के लिए कहा जाए। इसके बाद उन्हें बिल्कुल नजदीक से गोली मार दी जाए।" (इनपुट-एएनआई)