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क्या अब प्राइवेट कंपनियों में 14-14 घंटे तक करना होगा काम! ये राज्य सरकार कर रही तैयारी

प्राइवेट कंपनियों में काम करने की घंटें बढ़ने जा रहे हैं। राज्य की कांग्रेस सरकार एक प्रस्ताव लाकर इस पर चर्चा कर रही है।

Reported By : T Raghavan Edited By : Shailendra Tiwari Published : Jul 22, 2024 15:57 IST, Updated : Jul 22, 2024 15:57 IST
IT/ITES कम्पनी में वर्किंग ऑवर्स को बढ़ाने का प्रस्ताव- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO IT/ITES कम्पनी में वर्किंग ऑवर्स को बढ़ाने का प्रस्ताव

प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय लोगों को नौकरी का रिजर्वेशन देने के फैसले पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद कर्नाटक सरकार अब आईटी कर्मचारियों के वर्किंग ऑवर्स यानी काम करने के घंटे को बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने की योजना बना रही है, जिसका आईटी क्षेत्र की यूनियनों ने विरोध किया है। बता दें कि अभी कंपनियों में 9-10 घंटे तक काम कराया जाता है।

14 घंटे काम करने का प्रस्ताव

प्रस्तावित नए दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2024, में 14 घंटे के कार्य दिवस को सामान्य बनाने का प्रावधान है। मौजूदा अधिनियम में ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 9-10 घंटे काम करने की परमिशन है, जिसे वर्तमान संशोधन में पूरी तरह से हटा देने का प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा अधिनियम में इस संशोधन का प्रस्ताव लेबर डिपार्टमेंट और उद्योग में विभिन्न हितधारकों के बीच हाल ही में बुलाई गई बैठक में पेश किया गया। इस बैठक में कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और श्रम मंत्री संतोष लाड ने सरकार के इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त की।

यूनियन ने जताया विरोध

आईटी सेक्टर की यूनियन ने इस कदम के खिलाफ सार्वजनिक रूप से विरोध जताया है और इसे अमानवीय बताया है, जिसका राज्य में 20 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा के मुताबिक, इससे आईटी और आइटीइएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में कंपनी मालिकों को सुविधा हो जाएगी, यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट सिस्टम के बजाय दो शिफ्ट सिस्टम अपनाने की अनुमति देगा, जिसके चलते एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर करने का मौका मिल जाएगा। IT कर्मचारी यूनियन ने ये भी कहा कि बढ़े हुए वर्किंग हॉवर्स के चलते IT कर्मचारियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा। KITU ने प्रेस रिलीज भी इसके लिए जारी किया।

किया दोबार विचार करने का आग्रह

KITU ने प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि कर्नाटक सरकार अपने कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने की अपनी भूख में, किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार, जीने के अधिकार की पूरी तरह से उपेक्षा कर रही है। यह संशोधन दिखा रहा है कि कर्नाटक सरकार कामगारों को मनुष्य मानने के लिए तैयार नहीं है, सरकार का यह प्रयास उनके सोशल और पर्सनल लाइफ से समझौता करने जैसा है। कर्नाटक राज्य आईटी, आईटीइएस कर्मचारी संघ ने सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि संशोधन के साथ जाने का कोई भी प्रयास कर्नाटक में आईटी, आईटीइएस क्षेत्र में काम करने वाले 2 मिलियन कर्मचारियों के लिए एक खुली चुनौती होगी।

कर्मचारियों से की एकजुट होने की अपील

आगे कहा गया है कि, केआइटीयू सभी आईटी/आईटीइएस क्षेत्र के कर्मचारियों से एकजुट होने और हम पर गुलामी थोपने के इस अमानवीय प्रयास का विरोध करने के लिए आगे आने का आह्वान करता है।साथ ही श्रम मंत्री ने कोई भी निर्णय लेने से पहले एक और दौर की चर्चा करने पर सहमति जताई, लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने कहा कि ये सरकार की पहल नहीं है बल्कि IT और ITES कंपनी के मालिकों के दबाव के चलते ही सरकार को इस बारे में सोचना पड़ रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि यूनियन के विरोध की हालत में IT कंपनियों से जुड़ी हस्तियों और उनके मालिकों को यूनियन से बात करने की पहल करनी चाहिए।

डिप्टी सीएम ने कही ये बात

इस पर सरकार की ओर से डिप्टी सीएम डी.के.शिवकुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के हिसाब से फैसले लिए जाएंगे और अंतिम फैसले से पहले सभी पक्षों से बात की जाएगी। वहीं, BJP के प्रदेश अध्यक्ष B.Y. विजेन्द्र ने आरोप लगाया कि सरकार सभी पक्षों की राय लिए बिना, एक तरफा फैसला कर रही है जिसके चलते लोगों में नाराजगी है, सरकार को ऐसा कोई फैसला लेने से पहले सभी को विश्वास में लेना होगा।

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