Friday, April 19, 2024
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'परिवर्तन के लिए वोट' डालने दिल्ली में रुके रहे प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर अक्सर गर्मी के दिनों में दिल्ली से वापस अपने गृह राज्य चले जाते हैं, लेकिन इस बार कुछ मजदूर वोट डालने के लिए यहां रुके रहे। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 13, 2019 6:54 IST
'परिवर्तन के लिए वोट' डालने दिल्ली में रुके रहे प्रवासी मजदूर- India TV Hindi
'परिवर्तन के लिए वोट' डालने दिल्ली में रुके रहे प्रवासी मजदूर

नई दिल्ली: प्रवासी मजदूर अक्सर गर्मी के दिनों में दिल्ली से वापस अपने गृह राज्य चले जाते हैं, लेकिन इस बार कुछ मजदूर वोट डालने के लिए यहां रुके रहे। दरअसल, इन मजदूरों का मतदाता पहचान पत्र उनके गृह राज्य में नहीं, बल्कि दिल्ली में बना है इसलिए वोट डालने के लिए ही वे इस बार घर नहीं गए। 

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कुछ मजदूर मतदाताओं ने कहा कि वे परिवर्तन के लिए वोट करने के मकसद से दिल्ली में टिके रहे। 43 वर्षीय राजेश ने कहा, "हर साल हम अप्रैल-मई में अपने गांव लौट जाते थे, लेकिन इस बार हमने चुनाव के कारण यहां रुकने का फैसला किया। हमारा वोटर कार्ड गांव में नहीं है, बल्कि दिल्ली में है। हम घर चले जाते तो वोट नहीं डाल पाते।"

52 वर्षीय पप्पू से जब पूछा कि उनको क्यों लगता है कि वोट डालना जरूरी है तो उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में उनको काफी कष्ट झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा, "अगर हम वोट डाले बगैर घर चले जाते तो हम सरकार से अपने अधिकार को लेकर सवाल नहीं कर पाते।"

घोंडा निवासी पप्पू चांदनी चौक स्थित कपड़े की एक दुकान में काम करते थे, जो पिछले साल बंद हो गई। करावल नगर में रहने वाले राजेश एक छोटी-सी कंपनी में काम करते थे, जो 2016 में नोटबंदी के बाद बंद हो गई। 

राजेश ने कहा कि कंपनी बंद होने के बाद उनके पास कोई स्थाई नौकरी नहीं है और वह नौकरी की तलाश में हैं। पप्पू ने कहा कि वह दुकान में 2002 से काम कर रहे थे और अचानक कहा गया कि वह दुकान अवैध है, जबकि दुकान उससे पहले से ही चल रही थी। उन्होंने कहा कि अगर दुकान अवैध थी तो वे (अधिकारी) अब तक सोए क्यों थे। 

उन्होंने कहा, "नौकरी मिलना आसान नहीं है। अभी मैं रिक्शा चलाता हूं, क्योंकि बिहार में मेरे परिवार में छह लोग हैं और वे सभी मेरी कमाई पर ही निर्भर हैं।" मोहन अपने परिवार के दो सदस्यों के साथ यहां रहते हैं। उन्होंने कहा कि नौकरियों का अभाव होने के कारण उत्पीड़न बढ़ रहा है। 

मोहन और उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे इस बार परिवर्तन के लिए वोट करने को यहां ठहरे थे। उनसे जब पूछा गया कि वह सरकार से क्या चाहते हैं, तो उन्होंने कहा कि वह बस एक अच्छी नौकरी चाहते हैं।

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